5 शहरों से ग्राउंड रिपोर्ट: मंदिरों के बंद दरवाजे से ही प्रणाम कर रहे श्रद्धालु, इतिहास में ऐसा पहली बार

रायपुर. प्रदेश में देवी मंदिरों में चैत्र नवरात्र के पहले दिन ऐसा सूनापन आज तक नहीं रहा और शायद ही कभी होगा। कोरोनावायरस भीड़ में तेजी से फैल सकता है, इसलिए प्रदेश के लगभग सभी प्रमुख मंदिरों में सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी गई है। रायपुर शहर के शीतला मंदिर, महामाया मंदिर और कंकाली मंदिर के पट बंद हैं। बाहर से लोग इन्हें प्रणाम करके लौट गए। ऐसा करने वालों की संख्या भी बेहद कम थी। लोग घरों से नहीं निकल रहे। हर साल शहर में सबसे ज्यादा 11 हजार जोत पुरानी बस्ती स्थित महामाया मंदिर में जलाए जाते रहे हैं।  6 हजार भक्त पंजीयन भी करवा चुके थे, लेकिन बीते सोमवार को मंदिर ट्रस्ट ने यह निर्णय लिया है कि जोत नहीं जलाए जाएंगे। यह मंदिर करीब 1400 साल पुराना है। इतने दिनों में ऐसा पहली बार हुआ है। 


यहां के बम्लेश्वरी मंदिर का इतिहास 2 हजार साला पुराना है। राजा वीरसेन के जमाने से यह मंदिर अस्तित्व में हैं। यहां हर साल महाराष्ट्र से बड़ी तादाद में श्रद्धालू आते हैं। चैत्र नवरात्र में यहां हर बार लाखों की तादाद में लोग पहुंचते हैं, मगर इस बार सब सूना है। मंदिर के चारों तरफ बैरीकेडिंग कर लोगों को आने से रोक दिया गया है। प्रशासन पहले ही बाहर से आने वालों पर रोक लगा चुका है, ट्रेनें भी बंद हैं इसलिए बुधवार को यहां कोई पहुंचा भी नहीं। देर शाम सिर्फ मंदिर के पुजारी ज्योत जलाएंगे। पहाड़ के ऊपर बने मंदिर में 5100 और नीचे स्थित अन्य दो मंदिरों में 701 और 51 ज्योत जलेंगी। आम आदमी के प्रवेश पर पूरी तरह से बैन है।


छत्तीसगढ़ के बस्तर में दंतेवाड़ा जिले में स्थित दंतेश्वरी मंदिर बेहद अहम है। बस्तर आने वाली हर बड़ी से बड़ी हस्ती इस मंदिर के दर्शन जरूर करती है। मगर पिछले कुछ दिनों से मंदिर के दरवाजे पर ताला लगा हुआ है। यहां मंदिर प्रबंधन ने एक बोर्ड लगा दिया है, जिस पर लिखा है कि लॉकडाउन की वजह से मंदिर बंद ही रहेगा। दंतेश्वरी मंदिर में इस बार सिर्फ दो दिए जलेंगे एक घी का होगा और एक तेल का। जगदलपुर शहर के भी लगभग सभी मंदिरों को प्रशासन ने बंद करवा दिया है। लोग भी समझदारी दिखा रहे हैं, सभी घरों में रहकर ही पूजा-पाठ कर रहे हैं। दंतेवाड़ा का दंतेश्वरी मंदिर 11वीं शताब्दी का है। हर साल यहां 7 से 8 हजार की संख्या में ज्योत जलाई जाती थी। 


बिलासपुर के रतनपुर स्थित सिद्ध शक्तिपीठ मां महामाया देवी मंदिर में भी कोरोनावायरस की वजह से पसरे सन्नाटे का असर साफ तौर पर देखा जा रहा है। मंदिर में सिर्फ पुजारियों ने प्रवेश किया माता की पूजा की, आम लोगों को यहां आने की इजाजत नहीं है। आमतौर पर नवरात्र के दौरान यहां पर हजारों की तादाद में श्रद्धालु आसपास के जिलों से और राज्यों से आते थे मगर इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ है। जिले में बाहर से आने वाले लोगों पर भी प्रतिबंध लगाया जा चुका है, राज्य सरकार ने पहले 31 मार्च तक के लिए लोगों को चित किया था पर मंगलवार देर रात सरकार केंद्र सरकार ने इसे 21 दिनों के लिए बढ़ा दिया है। 


जिले के मंदिरों में भी भक्तों के प्रवेश पर बैन लगा दिया गया है। जिला प्रशासन ने मंदिर समितियों के साथ बैठक कर लोगों की भीड़ न जुटने देने की बात कही है। इसे देखते हुए प्रमुख मंदिरों ने ठोस कदम भी उठाए हैं। महासमुंद जिले में भी एहतियात के तौर पर धारा 144 जिलेभर में लागू है। यहां के मंदिरों को सैनेटाइज किया गया है। भालू वाले मंदिर के नाम से मशहूर चंडी मंदिर में नवरात्र के पहले दिन कोई नहीं पहुंचा। मंदिर समितियों के पुजारियों ने पूजा की। ज्योत जलाने या मेले के आयोजनों पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। 


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